आठ दिन
بواسطة
सुरेन्द्र मोहन पाठक
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تنسيق
غلاف ورقي
صفحات
368
لغة
الهندية
منشور
Apr 1, 2008
الناشر
Raja Pocket Books
رقم ISBN-10
8176048798
الوصف
विकास गुप्ता एक महाकुशल ठग है, जो अपने फायदे के लिए हर संभव तरीका अपनाता है। उसकी चालाकी और साथ ही उसकी मासूमियत भरी मुस्कान से लोग उसकी जाल में फंस जाते हैं। इस कहानी में उसे एक अनकहे रहस्य का सामना करना पड़ता है, जो न केवल उसके ठगी के धंधे को प्रभावित करता है, बल्कि उसकी पूरी जिंदगी में एक नया मोड़ लाता है।
विकास की जिंदगी में अचानक एक ऐसा मोड़ आता है, जब वह एक बड़ी मुसीबत के घेरे में फंस जाता है। अपने कौशल और चातुर्य का इस्तेमाल करते हुए, उसे बचने के लिए तुरंत एक योजना बनानी होती है। यह संघर्ष उसकी असली पहचान और छिपे हुए इरादों को सामने लाता है, जिससे उसकी नैतिकता और मानवीयता पर सवाल उठते हैं।
कहानी की रफ्तार और विकास के भीतर के आंतरिक संघर्ष उसे एक जटिल और गहन अनुभव में लाते हैं। पाठक उसकी यात्रा का साक्षी बनते हैं, जहां ठगी की दुनिया से बाहर निकलने के लिए उसे न केवल अपने ठगी के कौशल को आजमाना पड़ता है, बल्कि उसे यह भी समझना पड़ता है कि असली सफलता क्या है।
विकास की जिंदगी में अचानक एक ऐसा मोड़ आता है, जब वह एक बड़ी मुसीबत के घेरे में फंस जाता है। अपने कौशल और चातुर्य का इस्तेमाल करते हुए, उसे बचने के लिए तुरंत एक योजना बनानी होती है। यह संघर्ष उसकी असली पहचान और छिपे हुए इरादों को सामने लाता है, जिससे उसकी नैतिकता और मानवीयता पर सवाल उठते हैं।
कहानी की रफ्तार और विकास के भीतर के आंतरिक संघर्ष उसे एक जटिल और गहन अनुभव में लाते हैं। पाठक उसकी यात्रा का साक्षी बनते हैं, जहां ठगी की दुनिया से बाहर निकलने के लिए उसे न केवल अपने ठगी के कौशल को आजमाना पड़ता है, बल्कि उसे यह भी समझना पड़ता है कि असली सफलता क्या है।