बारह सवाल
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Formato
Brossura
Lingua
Hindi
Descrizione
विकास गुप्ता एक चतुर ठग है, जो कानून से बचने के लिए हमेशा चालाकियों का सहारा लेता है। उसकी जिंदगी एक खेल बन जाती है, जिसमें वह खुद को न केवल मास्टर स्ट्रेटजिस्ट दिखाता है, बल्कि कभी-कभी यह सोचने पर भी मजबूर करता है कि क्या वह वास्तव में अपने जाल से पार पा सकेगा।
इसकी कहानी में न केवल ठगी और धोखेबाजी का ताना-बाना है, बल्कि विकास के अंतर्मन में चल रहे संघर्षों और विडम्बनाओं की परतें भी छिपी हैं। वह अपने अस्तित्व को खोजने की कोशिश करता है, जिसमें उसका आत्म-सम्मान और अपने कर्मों का बोझ उसके सामने है।
प्रेरक और अनकही कहानियों से भरी हुई यह यात्रा पाठकों को सोचने पर मजबूर कर देती है। क्या विकास अपने जीवन में कुछ नया करने की कोशिश करेगा, या वह हमेशा के लिए अपने बेईमानी के रास्ते पर बना रहेगा? यह सवाल हर मोड़ पर खड़ा होता है, पाठकों को इस दिलचस्प कहानी को टर्निंग प्वाइंट तक पहुंचने के लिए उत्सुक बनाता है।
इसकी कहानी में न केवल ठगी और धोखेबाजी का ताना-बाना है, बल्कि विकास के अंतर्मन में चल रहे संघर्षों और विडम्बनाओं की परतें भी छिपी हैं। वह अपने अस्तित्व को खोजने की कोशिश करता है, जिसमें उसका आत्म-सम्मान और अपने कर्मों का बोझ उसके सामने है।
प्रेरक और अनकही कहानियों से भरी हुई यह यात्रा पाठकों को सोचने पर मजबूर कर देती है। क्या विकास अपने जीवन में कुछ नया करने की कोशिश करेगा, या वह हमेशा के लिए अपने बेईमानी के रास्ते पर बना रहेगा? यह सवाल हर मोड़ पर खड़ा होता है, पाठकों को इस दिलचस्प कहानी को टर्निंग प्वाइंट तक पहुंचने के लिए उत्सुक बनाता है।
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