दिव्या
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History
Humor
Formato
Brossura
Pagine
258
Lingua
Hindi
Pubblicato
Jan 1, 2010
Editore
Lokbharti Prakashan
ISBN-10
8180314987
ISBN-13
9788180314988
Descrizione
दिव्या एक गहन और विचारशील कहानी है, जो मार्क्सवादी चिंतन की विस्तृत परतों को उद्घाटित करती है। लेखक यशपाल ने एक ऐसी दुनिया का निर्माण किया है, जहां व्यक्ति की सोच और उसकी वैचारिक प्रतिबद्धता को उसकी पहचान के रूप में प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने न केवल समाज की संरचना को चुनौती दी है, बल्कि उन परंपराओं और रूढ़ियों पर भी रोशनी डाली है जो समय के साथ परिवर्तनशील हैं।
कहानी में पात्रों के माध्यम से यशपाल ने यह दर्शाया है कि कैसे बुद्धि का अनुशासन और सामाजिक न्याय का विचार एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। उन्होंने विभिन्न पात्रों के संघर्ष और उनकी जिज्ञासा को पकड़ने में सफलता प्राप्त की है, जिससे पाठक उन मुद्दों के प्रति संवेदनशीलता महसूस कर सकें। यह कथा न केवल विचारों का आदान-प्रदान करती है, बल्कि पाठकों को संवाद और बहस की प्रेरणा भी देती है।
कहानी में पात्रों के माध्यम से यशपाल ने यह दर्शाया है कि कैसे बुद्धि का अनुशासन और सामाजिक न्याय का विचार एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। उन्होंने विभिन्न पात्रों के संघर्ष और उनकी जिज्ञासा को पकड़ने में सफलता प्राप्त की है, जिससे पाठक उन मुद्दों के प्रति संवेदनशीलता महसूस कर सकें। यह कथा न केवल विचारों का आदान-प्रदान करती है, बल्कि पाठकों को संवाद और बहस की प्रेरणा भी देती है।
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