설명
सुरेन्द्र मोहन पाठक की इस कहानी में एक डॉक्टर की जीवन यात्रा को उजागर किया गया है, जो अपने पेशे में कोई खास अनुभव नहीं रखता। हालांकि, एक असामान्य स्थिति में फंसने के बाद उसे अपनी सीमाओं को पार करना पड़ता है। उसकी कमज़ोरी और डर उसे चुनौतीपूर्ण हालातों का सामना करने पर मजबूर करते हैं।
कहानी में डर और साहस का अनोखा संगम देखने को मिलता है, जब यह डॉक्टर एक गैंगवार में उलझता है। उसकी सोच और निर्णय उसे न केवल एक चिकित्सक के रूप में, बल्कि एक व्यक्ति के तौर पर भी परिभाषित करते हैं। पाठक ने इस कथा में ताले और चाबी की तरह जुड़े किरदारों के जरिए एक ऐसी कहानी पेश की है, जो जोखिम और जिज्ञासा से भरी हुई है।
कहानी में डर और साहस का अनोखा संगम देखने को मिलता है, जब यह डॉक्टर एक गैंगवार में उलझता है। उसकी सोच और निर्णय उसे न केवल एक चिकित्सक के रूप में, बल्कि एक व्यक्ति के तौर पर भी परिभाषित करते हैं। पाठक ने इस कथा में ताले और चाबी की तरह जुड़े किरदारों के जरिए एक ऐसी कहानी पेश की है, जो जोखिम और जिज्ञासा से भरी हुई है।