Beschrijving
एक समय था जब हवेली की दीवारें संगीत और हंसी के गूंज से भरी रहती थीं। यह एक जीवंत स्थान था, जहाँ राग-रंग की महफिलें सजती थीं और मेहमानों की भीड़ हमेशा बनी रहती थी। लेकिन अब स्थिति पूरी तरह से बदल चुकी है। वीरान और सुनसान, हवेली में अब सन्नाटा ही सन्नाटा है, जो उसकी भूतकाल की चमक के अनगिनत किस्सों को बयां करता है।
सुरेंद्र मोहन पाठक की लेखनी में यह हवेली एक अनसुलझी पहेली बन जाती है, जहाँ अंधेरे राज छिपे हैं। पाठक पाठकों को उस समय की ओर ले जाता है जब यह जगह खुशियों से भरी थी, और फिर उन कारकों की खोज में निकल पड़ता है, जिसने इस वैभव को समाप्त कर दिया। इस यात्रा में न केवल हवेली की कहानी है, बल्कि उसके भीतर छिपे अद्भुत रहस्य भी हैं, जो पाठकों को लगातार आकर्षित करते रहते हैं।
सुरेंद्र मोहन पाठक की लेखनी में यह हवेली एक अनसुलझी पहेली बन जाती है, जहाँ अंधेरे राज छिपे हैं। पाठक पाठकों को उस समय की ओर ले जाता है जब यह जगह खुशियों से भरी थी, और फिर उन कारकों की खोज में निकल पड़ता है, जिसने इस वैभव को समाप्त कर दिया। इस यात्रा में न केवल हवेली की कहानी है, बल्कि उसके भीतर छिपे अद्भुत रहस्य भी हैं, जो पाठकों को लगातार आकर्षित करते रहते हैं।
Recensies
Nog geen beoordelingen
Wees de eerste om dit boek te recenseren en deel je gedachten
Voeg Eerste Recensie ToeLeeslogboek
Geen leeslogboeken gevonden
Begin met het volgen van je leesvoortgang om logboeken hier te zien
Voeg je eerste leeslogboek toeNotities
Geen notities gevonden
Begin met het toevoegen van notities om ze hier te zien
Voeg je eerste notitie toeTransactielogboek
Geen transactielogboeken gevonden
Begin met het volgen van je boektransacties om logboeken hier te zien
Voeg je eerste transactielogboek toe