NAGRAJ AUR SHANKAR SHAHANSHAH
Brak ocen
Format
Miękka okładka
Strony
32
Język
Hindi
Opublikowany
Jan 1, 1989
Wydawca
Raj Comics
ISBN-10
8184915578
ISBN-13
9788184915570
Opis
नागद्वीप, इच्छाधारी नागों का एक रहस्यमय द्वीप है, जहां की शक्तियों और मंत्रों का भंडार छिपा हुआ है। इस द्वीप का सबसे महत्त्वपूर्ण रत्न है दिव्य मणि, जो नागों की शक्ति का स्त्रोत माना जाता है। दो चोर, जो अपनी लालच में अंधे हो गए हैं, इस अनमोल मणि को चुराने का जुगाड़ बनाते हैं, जिससे एक अद्भुत और नाटकीय कहानी की शुरुआत होती है।
नागद्वीप की सुरक्षा को चुनौती देने वाले इन चोरों के मंसूबों का सामना करने के लिए, नागराज और शंकर शाहंशाह साथ आते हैं। ये दोनों मिलकर इस संकट का समाधान ढूँढने की कोशिश करते हैं। उनका सफर न केवल रोमांचक है, बल्कि बिजुकी जादुई दुनिया की झलक भी प्रस्तुत करता है, जो पाठकों को एक अलग ही अनुभव में ले जाता है।
कहानी में न केवल अविश्वसनीय पात्र हैं, बल्कि एक गहरी शिक्षाप्रद संदेश भी छुपा हुआ है, जो ईमानदारी, प्रेम और सौहार्द की महत्ता को समझाता है। तकलीफों और शक्तियों के इस संघर्ष में, नागराज और शंकर शाहंशाह का संबंध और भी मजबूत होता है, जो उन्हें अपने लक्ष्य की ओर प्रेरित करता है।
नागद्वीप की सुरक्षा को चुनौती देने वाले इन चोरों के मंसूबों का सामना करने के लिए, नागराज और शंकर शाहंशाह साथ आते हैं। ये दोनों मिलकर इस संकट का समाधान ढूँढने की कोशिश करते हैं। उनका सफर न केवल रोमांचक है, बल्कि बिजुकी जादुई दुनिया की झलक भी प्रस्तुत करता है, जो पाठकों को एक अलग ही अनुभव में ले जाता है।
कहानी में न केवल अविश्वसनीय पात्र हैं, बल्कि एक गहरी शिक्षाप्रद संदेश भी छुपा हुआ है, जो ईमानदारी, प्रेम और सौहार्द की महत्ता को समझाता है। तकलीफों और शक्तियों के इस संघर्ष में, नागराज और शंकर शाहंशाह का संबंध और भी मजबूत होता है, जो उन्हें अपने लक्ष्य की ओर प्रेरित करता है।
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