गुनाह का क़र्ज़

गुनाह का क़र्ज़

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सुरेन्द्र मोहन पाठक की कहानी एक खौफनाक जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है, जहाँ नायक एक खूनी और फोर्जर है। उसकी काली करतूतें उसे एक अहंकारी और निर्दयी इंसान बना देती हैं, जिसने अपनी पत्नी की हत्या कर दी है। यह एक ऐसा जीवन है जिसमें राज़ और जालसाज़ी का खेल खेला जाता है, और ये पात्र अपने अपराधों के बोझ तले दबा हुआ है।

इस कहानी में पाठक ने नायक की मनोदशा और उसके हरकतों को गहराई से चित्रित किया है। नियमों को तोड़ने वाला यह शख्स अपने लालच और दुष्टता के कारण धीरे-धीरे अपने ही जाल में फंसता जाता है। उसके जीवन में संघर्ष और तकरार है, जो पाठकों को एक अद्भुत सस्पेंस का अनुभव कराती है।

जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, पाठक नायक की जद्दोजहद और उसके द्वारा किए गए अपराधों की दर्दनाक परतों को खोलता है। यह कहानी न केवल एक थ्रिलर है, बल्कि यह मानव स्वभाव की जटिलताओं को भी दर्शाती है। पाठक को नायक की निरंतर गिरावट और अपने पापों का फल भोगने की प्रक्रिया में शामिल करते हुए एक बेहतरीन और सोचने पर मजबूर करने वाला अनुभव प्राप्त होता है।

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