वारिस

वारिस

Оценок пока нет
Формат Мягкая обложка
Страницы 304
Язык Хинди
Опубликовано Jan 1, 2002
Издатель Monoj Publications
Хочу прочитать

Оценить эту книгу

Экспортировать журнал книг

Описание

सुरेंद्र मोहन पाठक के उपन्यास "वारिस" में देवसरे की कहानी एक गहरी भावनात्मक यात्रा है। उसकी इकलौती बेटी की अचानक हुई मौत ने उसे गहरे सदमे में डाल दिया। वह आत्महत्या के द्वार तक पहुंच जाता है, लेकिन जीवन में कुछ असामान्य घटनों के चलते उसे अपने अस्तित्व को फिर से तलाशना पड़ता है।

देवसरे की सूनी दुनिया में एक नए अनुभव की दस्तक होती है, जब वह अपने अतीत के साए से बाहर निकलने का प्रयास करता है। यह उपन्यास केवल व्यक्तिगत शोक की कहानी नहीं है, बल्कि एक पिता के संघर्ष का भी है, जो अपने खोए हुए सपनों और उम्मीदों को पुनर्जीवित करने की कोशिश करता है।

इसकी गहराई और पात्रों की परतें पाठक को जीवन के कटु सच के साथ-साथ उम्मीद की एक नई किरण दिखाती हैं। पाठक को इस सफर में शामिल होकर अपनी भावनाओं को छूने का अवसर मिलता है, जहाँ प्यार और खोने का जटिल अहसास बुनता है।

Обзоры

Отзывов пока нет

Станьте первым, кто оставит отзыв о этой книге и поделится своими мыслями

Добавить первый отзыв

Журнал чтения

Журналы чтения не найдены

Начните отслеживать ваш прогресс в чтении, чтобы видеть записи здесь

Добавьте ваш первый журнал чтения

Заметки

Заметки не найдены

Начните добавлять заметки, чтобы видеть их здесь

Добавьте вашу первую заметку

Журнал транзакций

Журналы транзакций не найдены

Начните отслеживать ваши книжные транзакции, чтобы видеть записи здесь

Добавьте ваш первый журнал транзакций